सप्त सागरदाचे एलो (साइड बी)
निदेशक: हेमंथ एम राव
कलाकार: रक्षित शेट्टी, चैत्रा जे आचार, रुक्मिणी वसंत, रमेश इंदिरा, अच्युत कुमार आदि
रनटाइम: 147 मिनट
कहानी: मनु 10 साल बाद जेल से रिहा होता है और एक नई जिंदगी शुरु करने की कोशिश करता है। हालाँकि, प्रिया की यादें उसे परेशान करती हैं। क्या वह उससे दोबारा मिलेंगे, या नहीं यही फिल्म की कहानी है?
UnfoldedNow Rating: 4.5/5
बात जब कन्नड़ सिनेमा की आती है तो पिछले कुछ सालों में रॉकिंग स्टार यश, रक्षित शेट्टी, ऋषभ शेट्टी, रश्मिका मंदाना जैसे कलाकार उभर कर सामने आए हैं. रक्षित के साथ निर्देशक पवन कुमार, अनुप भंडारी, प्रशांत नील, हेमंत एम. राव, मंजूनाथ सोमशेखर रेड्डी (मंसूर), ऋषभ शेट्टी और राज बी. शेट्टी ने कन्नड़ फिल्म उद्योग में फिल्म निर्माण की लहर शुरु की है। उन्होंने अपने अपरंपरागत कार्यों के माध्यम से, उन्होंने खुद को कन्नड़ फिल्म उद्योग में प्रमुख फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में स्थापित किया है। जब से पैन इंडिया फिल्में चलन में आई हैं. तब से हिंदी ऑडियंस तक भी रीजनल फिल्में पहुंच रही हैं. कुछ पैन इंडिया फिल्में जहां मील का पत्थर साबित होती हैं, वहीं कुछ फिल्में कब रिलीज़ हुई पता ही नहीं चलता।
हाल ही में सिनेमाघरों में रक्षित शेट्टी की फिल्म सप्त सागरदाचे एलो (साइड बी) रिलीज़ हुई है. फिल्म को जिस तरह से बनाया है वह इसे और भी खास बनाता है। वैसे तो लव स्टोरी महेशा से मेरा फेवरेट जेनर रहा है। जिस तरह से हेमंत राव ने फिल्म की कहानी को कहा है वह काबिले तारीफ है।
10 साल बाद जेल से वापस आने के बाद मनु (रक्षित शेट्टी) को प्रिया (रुक्मिणी वसंत) की चाहत है। अब घिसा-पिटा कैसेट टेप उसके पिछले जीवन की सबसे पसंदीदा यादगार चीज़ है। जिससे वह अपनी पुरानी यादों को ताजा करता रहता है। मनु, प्रिया के द्वारा गाए कुछ गाने सुनता रहता है। मनु का पूर्व कैदी-मित्र प्रकाशा (गोपाल कृष्ण देशपांडे), उसे एक नया जीवन शुरू करने में मदद करता है।
प्रिया की यादों में तड़पते मनु की मुलाकात एक यौनकर्मी सुरभि (चैत्र जे आचार) से होती है। मनु, सुरभि में प्रिया को खोजने की कोशिश करता है। सुरभि, प्रिया जैसी नहीं है, यह बार-बार साबित करती है।
अब मनु यह देखना चहाता है कि क्या प्रिया अब वह जीवन जी रही है। जिसका उसने सपना देखा था और जिसकी वह हकदार है। मनु उसका पीछा करता है, उसके जीवन के बारे में हर छोटी चीज पता करता है। जब उसे पता चलता है कि वह एक सादा जीवन जी रही है। तो वह फिर से उसके जीवन में रंग भरने का का फैसला करता है। मनु छिपकर उसे प्यार, रोशनी, हँसी और निश्चित रूप से उसकी आवाज़ खोजने में मदद करता है।
कहानी-
10 साल बाद जेल से वापस आने के बाद मनु (रक्षित शेट्टी) को प्रिया (रुक्मिणी वसंत) की चाहत है। अब घिसा-पिटा कैसेट टेप उसके पिछले जीवन की सबसे पसंदीदा यादगार चीज़ है। जिससे वह अपनी पुरानी यादों को ताजा करता रहता है। मनु, प्रिया के द्वारा गाए कुछ गाने सुनता रहता है। मनु का पूर्व कैदी-मित्र प्रकाशा (गोपाल कृष्ण देशपांडे), उसे एक नया जीवन शुरू करने में मदद करता है।
प्रिया की यादों में तड़पते मनु की मुलाकात एक यौनकर्मी सुरभि (चैत्र जे आचार) से होती है। मनु, सुरभि में प्रिया को खोजने की कोशिश करता है। सुरभि, प्रिया जैसी नहीं है, यह बार-बार साबित करती है। अब मनु यह देखना चहाता है कि क्या प्रिया अब वह जीवन जी रही है। जिसका उसने सपना देखा था और जिसकी वह हकदार है। मनु उसका पीछा करता है, उसके जीवन के बारे में हर छोटी चीज पता करता है। जब उसे पता चलता है कि वह एक सादा जीवन जी रही है। तो वह फिर से उसके जीवन में रंग भरने का का फैसला करता है। मनु छिपकर उसे प्यार, रोशनी, हँसी और निश्चित रूप से उसकी आवाज़ खोजने में मदद करता है।
परफॉर्मेंस-
साइड ए की तरह साइड बी में भी रक्षित शेट्टी, रुक्मिणी वसंत ने बेहतरीन एक्टिंग की है। साथ ही फिल्म में रमेश इंदिरा विलेन के किरदार में छा गए हैं। पहले पार्ट में भी उन्होंने अपने अभिनय से दर्शको के दिल पर अमिट छाप छोड़ी थी। दूसरे पार्ट में भी वह लौटते हैं और कहानी को कई नई दिशा दे जाते हैं। या यूँ कहूँ कि कहानी को डिस्टर्ब कर जाते हैं। पार्ट बी में चैत्र जे. आचार ने सुरभि के किरदार में जान फूकं दी है।
मैं फिल्म में रक्षित शेट्टी के काम से काफी इंस्पायर हुआ हुँ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि रक्षित इतना इंटेस अभिनय कर सकते हैं। साइड ए मनु एक उत्साही व्यक्ति था, प्यार से भरा हुआ, साइड बी मनु, जो अभी भी प्यार में पागल है। वह अंदर से आधा मरा हुआ और बाहर से आधा जीवित है। स्क्रीन पर उसकी आँखों में प्रिया के लिए दर्द दिखाई देता है। रक्षित ने अपनी आँखों से कई भावनाएँ व्यक्त की हैं। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
रुक्मिणी वसंत, साइड बी में एक माँ और एक ऐसे व्यक्ति की पत्नी है जिसने जीवन से हार मान ली है। रुक्मिणी साइड बी में भी हमेशा की तरह आकर्षक है। साड़ी ने उसकी सलवार की जगह ले ली है और उसकी चमकदार मुस्कान की जगह अब निराशा ने ले ली है। मुझे लगा था कि फिल्म में कोई ऐसा सीन आएगा जहां शायद दोनों एक दुसरे को मिले। स्पेशली जब वह फिर से उसके जीवन में खुशियां लाने के लिए जी जान लगा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं होता है। साइड बी में एक सीन के बाद दोनों कभी नहीं मिलते हैं।
एक देखभाल करने वाले मित्र के रूप में गोपाल कृष्ण देशपांडे गंभीर दृश्यों में सूक्ष्म हास्य लाते हैं। वहीं निर्देशक हेमंथ एम राव ने फिल्म में अच्छी कटिंग की है। उन्होंने अपने काम को भी बखूबी किया है। उन्होंने एक अच्छी सीक्वल फिल्म बनाई है। जिसे देखने के बाद मैं तो हेमंथ एम राव और रक्षित शेट्टी का फैन बन गया हुँ।
साइड बी पिछली फिल्म से विपरीत वाइब देती है। पटकथा तेज़ गति वाली नहीं है, लेकिन आकर्षक है। सिनेमैटोग्राफर अद्वैत गुरुमूर्ति और संगीतकार चरण राज कहानी में नए आयाम जोड़ते हैं। चरण राज का संगीत धीरे-धीरे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
साथ ही, कुछ दृश्यों में खामोशी शब्दों से ज्यादा जोर से बोलती है। अद्वैत ने यह सुनिश्चित किया है कि दर्शक उनके फ्रेम के हर इंच का भरपूर आनंद लें। उनके कैमरे ने जिस तरह से देखे-अनदेखे बेंगलुरु को कैद किया है, वह काबिले तारीफ है। अगर आपको लव स्टोरी फिल्में देखना पसंद है तो आप फिल्म देख सकते हैं।
फाइनल वर्डिक्ट-
यदि साइड-ए एक को एक तरफा प्रेम पत्र समझा जाए तो साइड-बी उस प्रेम पत्र का उपयुक्त उत्तर है। यदि आपने साइड ए देखी है, या नहीं भी देखी है तो भी आप सिनेमाघरों में साइड बी देख सकते हैं। आप यह जानने के लिए फिल्म देख सकते है कि मनु और प्रिया के लिए जीवन कैसे पूर्ण होता है। साइड बी एक शानदार कहानी है, आप यह देखने के लिए फिल्म देख सकते है कि कोई व्यक्ति प्यार के लिए कितनी दूर तक जा सकता है।