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शाकुंतलम मूवी रिव्यू: बेकार VFX और कहानी के कारण दर्शको को कुछ खास पसंद नहीं आई शाकुंतलम

शाकुंतलम मूवी रिव्यू:

सामंथा रुथ प्रभु और डायरेक्टर गुणाशेखर की माइथोलॉजिकल फिल्म “शाकुंतलम”, कालिदास के नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ पर आधारित है। फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। फिल्म को दर्शको से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।

शाकुंतलम की दोनो तेलुगु राज्यों में कुल मिलाकर 32.60% की ऑक्यूपेंसी रही है। फिल्म में सामंथा, शकुंतला की मुख्य भूमिका में हैं और अभिनेता देव मोहन ने राजा दुष्यंत की भूमिका निभाई है। फिल्म ने अपने पहले दिन सभी भाषाओं में 5 करोड़ रुपये की कमाई की है।

शाकुंतलम मूवी रिव्यू

शाकुंतलम मूवी रिव्यू: क्या है शाकुंतलम फिल्म की कहानी-

शाकुंतलम फिल्म की कहानी शकुंतला और राजा दुष्यंत की प्रेम कहानी पर आधारित है, जिसे प्राचीन भारतीय साहित्य की महाभारत काल की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक माना जाता है। आपको बता दें कि इस प्रेम कहानी के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। फिल्म निर्माता गुनसेकर ने इस विषय पर फिल्म बनाने का निर्णय लेकर एक साहसिक कदम उठाया है। उनके इस कदम की सराहना करनी चाहिए।

फिल्म का कहानी की शुरुआत में ही दिखाया जाता है कि विश्वामित्र और मेनका की एक नवजात बेटी से होती है। मेनका ने उसे त्याग दिया है क्योंकि मनुष्यों को स्वर्ग में जाने की अनुमति नहीं है।

ऋषि कण्व ने उस नवजात बच्ची को गोद ले लिया और उसका नाम शकुंतला रखा। शकुंतला का बचपन प्रकृति और जंगली जानवरों से घिरे एक आश्रम में बीता है। कुछ वर्षों बाद उसी पुरु वंश के राजा दुष्यंत अनायास ही जंगल में जानवरों का पीछा करते हुए आश्रम के मैदान में आ जाते है। वहीं राजा दुष्यंत की मुलाकात शकुंतला से होती है और दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। जिसके बाद दुष्यंत ने आश्रम में अपने संक्षिप्त प्रवास के दौरान प्रकृति और जानवरों के बीच शकुंतला से विवाह किया था।

शाकुंतलम मूवी रिव्यू

राजा दुष्यंत ने शकुंतला को अपने प्यार की निशानी के रूप में अपनी अंगूठी दी और जल्द ही लौटने का वादा करते हुए वह अपने देश के लिए निकल पड़े।
कुछ दिनों बाद शकुंतला दुष्यंत का इंतजार कर रही थी। उसी वक्त वहां दुर्वासा महर्षि आश्रम पहुंचे और पूछा कि क्या कण्व महर्षि वहां मौजूद हैं। शकुंतला दुर्वासा महर्षि की बातों को नजरअंदाज कर देती है क्योंकि वह दुष्यंत के विचारों में डूबी हुई थी। जिससे परेशान होकर दुर्वासा महर्षि शकुंतला को
श्राप देते है कि वह दुष्यंत, शकुंतला के बारे में सब कुछ भुला दे। इसके बाद क्या दुष्यंत और शकुंतला फिर से एक-दूसरे से मिल पाएंगे या नहीं। इसके लिए आपको सिनेमाघरों में फिल्म देखना होगा।

शाकुंतलम मूवी रिव्यू: मूवी स्टारकास्ट एंड निर्देशन-

शाकुंतलम का निर्देशन गुनशेखर ने किया है, उन्होने फिल्म को लिखा भी है। फिल्म का निर्माण गुना टीमवर्क्स ने किया है। वहीं श्री वेंकटेश्वर क्रिएशन्स ने फिल्म को वितरित किया है। फिल्म कालिदास के लोकप्रिय नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम पर आधारित है। फिल्म में शकुंतला का किरदार सामंथा ने और पुरु वंश के राजा दुष्यंत का किरदार देव मोहन ने निभाया है। फिल्म में मोहन बाबू, जिशु सेनगुप्ता, मधु, गौतमी, अदिति बालन और अनन्या नागल्ला, प्रकाश राज, कबीर बेदी, कबीर दूहान सिंह, कृष्णम राजू आदि कलाकार सहायक भूमिका में हैं।

फिल्म के निर्देशक के रुप में डायरेक्टर गुणाशेखर ने अच्छा काम किया है, लेकिन एक लेखक के रुप में उन्हें फिल्म की कहानी पर और अधिक काम करना चाहिए था। फिल्म के VFX पर भी और अधिक ध्यान देना चाहिए था। क्योंकि दर्शक इससे पहले बाहुबली, आर आर आर जैसी फिल्म देख चुके है। ऐसे में दर्शको को बेकार VFX वाली फिल्म पसंद नहीं आया है और उन्होंने फिल्म की मिश्रित समीक्षाएं दी है, वहीं समांथा के प्रदर्शन, साउंडट्रैक और दृश्य शैली की प्रशंसा की है, लेकिन इसके वीएफएक्स और लेखन की आलोचना की गई है।

शाकुंतलम मूवी रिव्यू: संगीत और वीएफएक्स

फिल्म में सामंथा के अभिनय और सुंदरता को प्रशंसकों द्वारा पसंद किया गया है, वहीं वीएफएक्स एऔर कहानी की आलोचना की गई है। विशेष रूप से जंगली जानवरों का निर्माण ठीक से नहीं किा गया है। इस महाकाव्य प्रेम कहानी को फिर से पेश करने के लिए गुनशेखर के नेक प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए, फिल्म धीमी पटकथा और खराब गुणवत्ता वाले वीएफएक्स के कारण उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है।

शाकुंतलम मूवी रिव्यू

फिल्म में युद्ध के सीक्वेंस शानदार नहीं हैं। जिन्हें देखकर हंसी आती है। वीएफएक्स का काम सबसे खराब है। फिल्म का एकमात्र सकारात्मक पहलू इसका संगीत है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है। लेकिन इसका ग्राफिक्स खराब हैं।

एक निर्देशक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, काहनी को चुनना। कहानी को चुनने के साथ-साथ उसे अच्छे से लिखा जाना भी जरूरी है। जिसके बाद कहानी पर एक उपयुक्त स्क्रिप्ट लिखा जाना भी जरूरी है। फिल्म की स्क्रिप्ट पर अच्छे से काम नहीं किया गया है। फिल्म 2 घंटे 22 मिनट लम्बी है। फिल्म टीवी सीरियल की तरह लगती है। इसका खराब ग्राफिक्स, उबाऊ था, हास्यास्पद युद्ध दृश्यों और कार्टूनिस्ट दृश्य से फिल्म पूरी तरह से बर्बाद कर दी गई है।

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Rajan Chauhan
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राजन चौहान, एक पेशेवर कंटेंट और स्टोरी राइटर, जिनका जेम्स कैमरन और एसएस राजमौली के प्रति उत्साह और प्रेम निरंतर बढ़ता है। सिनेमा के आलेखिकी स्वरूप के साथ, उनकी कहानियाँ अनूठी भाषा में बोलती हैं। विभिन्न मीडिया हाउसेस और न्यूज पोर्टल्स के साथ किए गए अनुभव ने उन्हें एक स्थिर स्थान पर पहुंचाया है। राजन की कहानियाँ व्यापक हैं, जो विभिन्न दृष्टिकोणों से जीवन की रूचियों को छूने का प्रयास करती हैं। उनका क्रिएटिव साहस, उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक पहुंचता है, जो हमेशा सुन्दर कहानीबद्धता के आयाम को प्रमोट करता है।

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