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विशाल भारद्वाज: निर्देशक जिसने 11 फिल्में डायरेक्ट की और उनकी 22 फिल्में बंद हो गई

विशाल भारद्वाज: निर्देशक जिसने 11 फिल्में डायरेक्ट की और उनकी 22 फिल्में बंद हो गई

आज विशाल भारद्वाज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. विशाल भारद्वाज एक फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, निर्माता, पार्श्व गायक, निर्माता और संगीतकार हैं। उन्होंने अपने करियर में 11 फिल्मों का निर्देशन किया है। वहीं उनकी 22 फिल्मों को विभिन्न कारणों के चलते बंद करना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश के मेरठ में पले-बढ़े थे विशाल भारद्वाज

4 अगस्त 1965 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर के चांदपुर में जन्में विशाल भारद्वाज के पिता पिता राम भारद्वाज गन्ना निरीक्षक थे और उनकी मां एक गृहिणी थीं. उनके पिता ने हिंदी फिल्मों के लिए कविता और गीत भी लिखे थे. इसका उनपर भी गहरा प्रभाव पड़ा था. जब विशाल ने पांचवीं कक्षा पास की तो उनका परिवार नजीबाबाद से मेरठ चला गया. जहां बाद में वह अंडर-19 टीम के लिए क्रिकेट खेलने लगे। एक मैच में उनका अंगूठा टूट गया था। जिस कारण वह पुरे साल क्रिकेट नहीं खेल पाए थे। उसी साल उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। सत्रह साल की उम्र में उन्होंने अपने पहला गीत लिखा था। जब उनके पिता को इस बारे में पता चला तो उन्होंने संगीत निर्देशक उषा खन्ना से इस पर चर्चा की थी। उषा खन्ना ने इसका उपयोग फिल्म यार कसम (1985) के लिए किया था।

विशाल, मेरठ में बॉलीवुड फिल्में देखते थे। क्योंकि मेरठ पूरी तरह से बॉलीवुड के इर्द-गिर्द घूमता था। विशाल ने मेरठ में सुभाष घई और मनमोहन देसाई की फिल्मों का इंतजार करते थे। उन्होंने अमर अकबर एंथोनी (1977) और सुहाग (1979) जैसी फिल्में मेरठ में ही देखी थी। विशाल भारद्वाज के एक बड़े भाई भी थे, जिन्होंने कई सालों तक मुंबई में संघर्ष किया था। संघर्ष के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी। बाद में भारद्वाज मेरठ से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चले गए थे। कॉलेज में उनकी मुलाकात अपनी पत्नी और पार्श्व गायिका रेखा भारद्वाज से हुई थी।

विशाल भारद्वाज का करियर-

विशाल भारद्वाज को शुरुआत में संगीत में दिलचस्पी थी। वह दिल्ली में रहकर एक रिकॉर्डिंग कंपनी के लिए काम करते थे। उन्होंने उस कंपनी में एक साल तक काम किया और फिर काम छोड़ दिया। गुलज़ार साहब 80 के दशक में उस्ताद अमजद अली खान (सरोद वादक) पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे। वह कुछ रिकॉर्ड करने के लिए अमजद अली खान के घर जा रहे थे। उसी स्टूडियो में विशाल थे। विशाल को छोड़कर सभी लोग वहां चले गए थे, लेकिन विशाल वहीं रुक गए थे। क्योंकि उन्होंने स्टूडियो के मालिक को यह कहते सुना कि गुलज़ार साहब आने वाले हैं। विशाल रिसेप्शन पर बैठ गए। जब गुलजार साहब ने फोन करके कहा कि उन्हें स्टूडियो तक जाने का रास्ता नहीं मिल रहा है। तब विशाल उन्हें लेने के लिए गए थे। उनके इंतजार में विशाल बंगाली स्वीट हाउस पर खड़े थे। इस तरह से दोनों की मुलाकात हुई थी। जिसके बाद गुलजार साहब ने विशाल को मुंबई मिलने के लिए बुलाया था। जिसके दो साल बाद विशाल ने उनके साथ काम करना शुरू किया था।

दिल्ली में आशीष विद्यार्थी थे विशाल भारद्वाज के बैचमेट-

दिल्ली में मनोज बाजपेयी, आशीष विद्यार्थी और पीयूष मिश्रा, एक गिरोह का हिस्सा थे। आशीष कॉलेज में विशाल के बैचमेट थे। विशाल के मुंबई आने के बाद आशीष और मनोज मुंबई आए थे। निर्देशक हंसल मेहता शॉर्ट फिल्में बना रहे थे। जब विशाल भारद्वाज को इस बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी चार-पाँच कहानियाँ उन्हें भेज दी। इसके बाद हंसल ने उनकी कहानी पर फिल्म बनाने की इच्छा जताई। हंसल मेहता, मनोज बाजपेयी, आशीष विद्यार्थी और पीयूष मिश्रा सभी दोस्त थे. ये सभी हर रात हंसल के घर पर मिलते थे। हंसल एक अच्छे परिवार से थे।

गुलज़ार साहब के साथ फिल्म फेस्टिवल में जाते थे विशाल भारद्वाज

1996 में तिरुवनंतपुरम में विशाल एक फिल्म फेस्टिवल में गुलज़ार साहब और अपने दोस्तों के साथ पल्प फिक्शन (1994) देखने गए थे। फिल्म के निर्देशक क्वेंटिन टारनटिनो ने जिस तरह से फिल्म की टाइमलाइन में गड़बड़ी की थी, उससे विशाल और उनके दोस्त पागल हो गए थे। उन्होंने पल्प फिक्शन और क्रिज़्सटॉफ किस्लोव्स्की (पोलिश निर्देशक) की सीरीज डेकालॉग देखने के बाद फिल्म निर्देशक बनने का निर्णय लिया था।

विशाल भारद्वाज की फिल्म मेकिंग स्टाइल-

भारद्वाज अपनी फ़िल्मों में अक्सर ग्रे शेड वाले किरदारों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर किसी प्रसिद्ध लेखक की कहानियों को रूपांतरित करके उन पर फिल्में बनाते हैं. इसे ये तो साफ है कि उन्हें किताबें पढ़ने का शौक है और जो किताब या कहानी उन्हें अच्छी लगती है. वह उस पर फिल्म बना देते हैं। उन्होंने द ब्लू अम्ब्रेला और 7 खून माफ़ को रस्किन बॉन्ड की लघु कहानियों से रूपांतरित किया था। मकबूल, ओमकारा और हैदर विलियम शेक्सपियर के नाटकों से रूपांतरित हैं। हैदर में कश्मीर संघर्ष दिखाया गया था, जो शेक्सपियर के नाटक हैमलेट  से रूपांतरित है.

विशाल भारद्वाज के आगामी प्रोजेक्ट्स‌

विशाल भारद्वाज ने हैदर (2014 ) के बाद 2017 में रंगून और 2018 में पटाखा का निर्देशन किया था। विशाल ने Modern Love: Mumbai (2022) का एक एपिसोड भी डायरेक्ट किया है। इसके बाद उन्होंने फुर्सत (fursat) नामक एक शॉर्ट फिल्म का निर्देशन किया है। 30 मिनट की इस फिल्म को विशाल ने iPhone 14 Pro से शूट किया है। इस संगीतमय रोमांस शॉर्ट फिल्म को 3 फरवरी 2023 को YouTube पर रिलीज़ किया गया था।

 इसमें मुख्य किरदारों ईशान खट्टर, वामीका गब्बी और सलमान यूसुफ खान हैं। अब बात करते हैं विशाल भारद्वाज के आगामी प्रोजेक्ट्स‌ के बारे में, विशाल दो नए प्रोजेक्टचार्ली चोपड़ा और सोलंग वैली का रहस्य और खुफ़िया लेकर हाजिर हैं.

1. चार्ली चोपड़ा एंड द मिस्ट्री ऑफ सोलंग वैली-

चार्ली चोपड़ा एंड द मिस्ट्री ऑफ सोलंग वैली एक अपकमिंग हिंदी भाषा की मिस्ट्री थ्रिलर सीरीज है. जिसका निर्देशन विशाल भारद्वाज ने किया है।

चार्ली चोपड़ा, अगाथा क्रिस्टी के अपराध रहस्य उपन्यास, द सिटाफोर्ड मिस्ट्री पर आधारित है। इस सीरीज में वामीका गब्बी, लारा दत्ता, नीना गुप्ता, रत्ना पाठक शाह, प्रियांशु पेन्युली, नसीरुद्दीन शाह, गुलशन ग्रोवर, पाओली डैम, विवान शाह, आदि कलाकार मूख्य किरदारों में हैं। 30 जून 2023 को सीरीज का पायलट एपिसोड SonyLIV पर जारी किया गया था। इसके शेष एपिसोड का प्रीमियर 27 सितंबर 2023 से SonyLIV पर होगा।

2. खुफ़िया-

खुफिया (अनुवाद सीक्रेट) विशाल भारद्वाज द्वारा निर्मित और निर्देशित एक आगामी हिंदी भाषा की जासूसी थ्रिलर फिल्म है। जो अमर भूषण के जासूसी उपन्यास एस्केप टू नोव्हेयर पर आधारित है। फिल्म में तब्बू, अली फज़ल और वामिका गब्बी मूख्य किरदारों में हैं। फ़िल्म 5 अक्टूबर 2023 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होगी।

 

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Rajan Chauhan
Rajan Chauhanhttps://unfoldednow.com/
राजन चौहान, एक पेशेवर कंटेंट और स्टोरी राइटर, जिनका जेम्स कैमरन और एसएस राजमौली के प्रति उत्साह और प्रेम निरंतर बढ़ता है। सिनेमा के आलेखिकी स्वरूप के साथ, उनकी कहानियाँ अनूठी भाषा में बोलती हैं। विभिन्न मीडिया हाउसेस और न्यूज पोर्टल्स के साथ किए गए अनुभव ने उन्हें एक स्थिर स्थान पर पहुंचाया है। राजन की कहानियाँ व्यापक हैं, जो विभिन्न दृष्टिकोणों से जीवन की रूचियों को छूने का प्रयास करती हैं। उनका क्रिएटिव साहस, उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक पहुंचता है, जो हमेशा सुन्दर कहानीबद्धता के आयाम को प्रमोट करता है।

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